1. अगर आप सदा स्वयं की दूसरी की साथ तुलना करते रहते हैं तो आप अवश्य ही अहंकार अथवा र्इष्र्या के शिकार हो जायेंगे ।
2. अच्छी पुस्तकें अच्छे साथी की तरह हैं । अश्लील सहित्य हमारे मन को दूषित करता है तथा हमें गलत रास्ते की ओर अग्रसर करता है ।
3. समस्यायें चाहे कैसी भी हों, परन्तु इनसे घबराइये मत, बलिक इन्हें परीक्षा समझ कर पास कीजिये ।
4. जीवन को आबाद करना है तो मैं कौन हूं ? इस पहेली को हल कीजिये । मैं और मेरे-पन के भान से मुक्त हो जाइये ।
5. ज्ञान सबसे बड़ा धन है । स्वयं से पूछें - ''मैं कितना धनवान हूं ?
6. यदि आपके मुख से गन्दे बोल निकलते हैं तो आपका मन कैसा होगा ?
7. हमारे वचन चाहे कितने भी श्रेष्ठ क्यों न हों, दुनिया हमें हमारे कर्मों के द्वारा पहचानती है ।
8. यदि आप मत्यु से भयभीत होते हैं तो इसका अर्थ यह है कि आप जीवन का महत्व ही नहीं समझते ।
9. आप अपने अधिकारों के प्रति ही जागरुक न रहें अपितु इस बात का भी ध्यान रखें कि आप सही मार्ग पर हैं या नहीं ।
10. अधिक सांसारिक ज्ञान अर्जित करने से आपमें अहंकार आ सकता है, परन्तु आध्यातिमक ज्ञान जितना अधिक अर्जित करते हैं उतनी नम्रता आती है ।
11. आप किसी समस्या के बारे में कितनी भी चिन्ता करें, परन्तु क्या आपका चिनितत मन उस समस्या का समाधान कर सकता है ?
12. समय ही जीवन है । समय को बरबाद करना अपने जीवन को बरबाद करने के समान है।
13. किसी दुसरे व्यक्ति की आलोचना करने से पहले हमे अपने अन्दर झांक कर देख लेना चाहिए ।
14. लोभ को जीतने का प्रयास करे, क्योंकि "मानव जब बूढ़ा भयो, तृष्णा भई जवान" ।
15. जब कोई व्यक्ति परमात्मा को आत्म-समर्पण करता है, तो वह अपना मन ईश्वर की और लगाकर उसी की श्रीमत को सुनता है तथ उसी के अनुरूप कर्म करता है ।
16. हम सितारों की दुरी तथा समुद्र की गहराई का अन्वेषण करते है , परन्तु हम कोंन है तथा इस संसार में क्यों आये है, इस विषय में कितना जानते है?
17. कभी-कभी हम दूसरों को बदलने के लिये बाध्य कर देते है, क्योंकि हम चाहते है कि वे वेसे ही बने, जैसा हम चाहते है ।
18. किसी भी चीज को समझने के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती हिया किन्तु उसे महसूस करने के लिए अनुभव की आवश्यकता होती है ।
19. एक बार आपको कुछ न करने की आदत पड़ जाये तो आप पायेंगे कि व्यस्त होने के लिए समय नहीं बचता ।
20. दर्पण में आप अपना चेहरा देख सकते है, चरित्र नहीं ।
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